अपदिट्ठिदपत्तेयं, बितिचपतिचबिअपदिट्ठिदं सयलं।
तिचविअपदिट्ठिदं च य, सयलं बादालगुणिदकमा॥98॥
अन्वयार्थ : अगले कोठे में अप्रतिष्ठित प्रत्येक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय का स्थापन करना। इसके आगे के कोठे में क्रम से त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, अप्रतिष्ठित प्रत्येक और पंचेन्द्रिय का स्थापन करना। इससे आगे के कोठे में त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, अप्रतिष्ठित प्रत्येक तथा पंचेन्द्रिय का क्रम से स्थापन करना। इन सम्पूर्ण चौंसठ स्थानों में ब्यालीस स्थान उत्तरोत्तर गुणितक्रम हैं ॥98॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका