अवरोग्गाहणमाणे, जहण्णपरिमिदअसंखरासिहिदे।
अवरस्सुवरिं उह्ने, जेट्ठमसंखेज्जभागस्स॥103॥
अन्वयार्थ : जघन्य अवगाहना के प्रमाण में जघन्यपरीतासंख्यात का भाग देने से जो लब्ध आवे उतने प्रदेश जघन्य अवगाहना में मिलाने पर असंख्यातभागवृद्धि का उत्कृष्ट स्थान होता है ॥103॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका