
सुहमेदरगुणगारो, आवलिपल्लाअसंखभागो दु।
सट्ठाणे सेढिगया, अहिया तत्थेकपडिभागो॥101॥
अन्वयार्थ : सूक्ष्म और बादरों का गुणकार स्वस्थान में क्रम से आवली और पल्य का असंख्यातवाँ भाग है। और श्रेणीगत बाईस स्थान अपने-2 एक एक प्रतिभागप्रमाण अधिक अधिक हैं ॥101॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका