तव्वह्नीए चरिमो, तस्सुवरिं रूवसंजुदे पढमा।
संखेज्जभागउह्नी, उवरिमदो रूवपरिवह्नी॥105॥
अन्वयार्थ : अवक्तव्यभागवृद्धि का उत्कृष्ट स्थान होता है। इसके आगे एक प्रदेश और मिलाने से संख्यात भागवृद्धि का प्रथम स्थान होता है। इसके भी आगे एक एक प्रदेश की वृद्धि करते करते जब -॥105॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका