संसारी पंचक्खा, तप्पुण्णा तिगदिहीणया कमसो।
सामण्णा पंचिंदी, पंचिंदियपुण्णतेरिक्खा॥155॥
अन्वयार्थ : सम्पूर्ण जीवराशि में से सिद्धराशि को घटाने पर संसार राशि का, संसारराशि में से तीन गति के जीवों का प्रमाण घटाने पर सामान्य तिर्यंचों का, सम्पूर्ण पंचेन्द्रिय जीवों के प्रमाण में से 3 गति सम्बन्धी जीवों का प्रमाण घटाने पर पंचेन्द्रिय तिर्यंचों तथा संपूर्ण पर्याप्तकों के प्रमाण में से तीन गति संबंधी पर्याप्त जीवों का प्रमाण घटाने पर पर्याप्त पंचेन्द्रिय तिर्यंचों का प्रमाण प्राप्त होता है ॥155॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका