
हेट्ठिमछप्पुढवीणं रासिविहीणो दु सव्वरासी दु।
पढमावणिम्हि रासी, णेरइयाणं तु णिद्दिट्ठो॥154॥
अन्वयार्थ : नीचे की छह पृथिवियों के नारकियों का जितना प्रमाण हो उसको सम्पूर्ण नारक राशि में से घटाने पर जो शेष रहे उतना ही प्रथम पृथ्वी के नारकियों का प्रमाण है ॥154॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका