तललीनमधुगविमलंधूमसिलागाविचोरभयमेरू।
तटहरिखझसा होंति हु, माणुसपज्जत्तसंखंका॥158॥
अन्वयार्थ : तकार से लेकर सकार पर्यन्त जितने अक्षर इस गाथा में बताये हैं, उतने ही अंक प्रमाण पर्याप्त मनुष्यों की संख्या है ॥158॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका