तसहीणो संसारी, एयक्खा ताण संखगा भागा।
पुण्णाणं परिमाणं, संखेज्जदिमं अपुण्णाणं॥176॥
अन्वयार्थ : संसार राशि में से त्रस राशि को घटाने पर जितना शेष रहे उतने ही एकेन्द्रिय जीव हैं और एकेन्द्रिय जीवों की राशि में संख्यात का भाग देने पर एक भागप्रमाण अपर्याप्तक और शेष बहुभागप्रमाण पर्याप्तक जीव हैं ॥176॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका