बादरसुहमा तेसिं, पुण्णापुण्णे त्ति छव्विहाणं पि।
तक्कायमग्गणाये, भणिज्जमाणक्कमो णेयो॥177॥
अन्वयार्थ : एकेन्द्रिय जीवों के सामान्य से दो भेद हैं बादर और सूक्ष्म। इसमें भी प्रत्येक के पर्याप्तक और अपर्याप्तक के भेद से दो-दो भेद हैं। इसप्रकार एकेन्द्रियों की छह राशियों की संख्या का क्रम कायमार्गणा में कहेंगे वहाँ से ही समझ लेना ॥177॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका