
बीजे जोणीभूदे, जीवो चंकमदि सो व अण्णो वा।
जे वि य मूलादीया, ते पत्तेया पढमदाए॥190॥
अन्वयार्थ : मूल आदि वनस्पतियों की उत्पत्ति का आधारभूत पुद्गल स्कन्ध योनिभूत - जिसमें जीव उत्पत्ति की शक्ति हो, उसमें जल या कालादि के निमित्त से वही जीव अथवा अन्य जीव भी आकर उत्पन्न हो सकता है। जो मूलादि प्रतिष्ठित वनस्पतियाँ हैं, वे भी उत्पत्ति के अंतर्मुहर्त तक अप्रतिष्ठित ही होती हैं॥190॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका