
साहारणोदयेण णिगोदसरीरा हवंति सामण्णा।
ते पुण दुविहा जीवा, बादर सुहुमा त्ति विण्णेया॥191॥
अन्वयार्थ : जिन जीवों का शरीर साधारण नामकर्म के उदय के कारण निगोदरूप होता है उन्हीं को सामान्य या साधारण कहते हैं। इनके दो भेद हैं - बादर एवं सूक्ष्म ॥191॥
जीवतत्त्वप्रदीपिका