साहारणमाहारो, साहारणमाणपाणगहणं च।
साहारणजीवाणं, साहारणलक्खणं भणियं॥192॥
अन्वयार्थ : इन साधारण जीवों का साधारण अर्थात् समान ही तो आहार होता है और साधारण-समान अर्थात् एक साथ ही श्वासोच्छ्वास का ग्रहण होता है। इस तरह से साधारण जीवों का लक्षण परमागम में साधारण ही बताया है ॥192॥

  जीवतत्त्वप्रदीपिका