पंच णव दोण्णि अट्ठा-वीसं चउरो कमेण सत्तट्ठी ।
दोण्णि य पंच य भणिया, एदाओ उदयपयडीओ ॥36॥
अन्वयार्थ : [पंच णव दोण्णि अट्ठा-वीसं] पाँच, नौ, दो, अट्ठाईस, [चउरो कमेण सत्तट्ठी दोण्णि य पंच य भणिया एदाओ उदयपयडीओ] चार, सड़सठ, दो और पाँच - ये सब उदय प्रकृतियाँ हैं (मोहनीय की बंध-योग्य छब्बीस प्रकृतियों में सम्यग्मिथ्यात्व और सम्‍यक्‍त्‍व प्रकृति - ये दो भी उदय अवस्था में शामिल करने से अट्ठाईस प्रकृतियाँ हो जाती हैं) ॥३६॥