+ मूल कर्म में उत्कृष्टादि प्रदेशबंध के सादि आदि भेद -
छण्हंपि अणुक्कस्सो पदेसबंधो दु चदुवियप्पो दु ।
सेसतिये दुवियप्पो मोहाऊणं च दुवियप्पो ॥207॥
अन्वयार्थ : ज्ञानावरणादि छह कर्मों का अनुत्कृष्ट प्रदेशबंध सादि आदि के भेद से चार प्रकार का है, बाकी उत्कृष्टादि तीन बंध सादि अध्रुव के भेद से दो प्रकार के हैं । मोहनीय तथा आयुकर्म के उत्कृष्टादि चारों ही भेद सादि आदि दो प्रकार के हैं ॥207॥