+ प्रदेशबंध की उत्कृष्ट सामग्री -
उक्कडजोगो सण्णी पज्जत्तो पयडिबंधमप्पदरो ।
कुणदि पदेसुक्कस्सं जहण्णये जाण विवरीयं ॥210॥
अन्वयार्थ : जो जीव उत्कृष्ट योगों से सहित, संज्ञी, पर्याप्त और थोड़ी प्रकृतियों का बंध करने वाला होता है, वही जीव उत्कृष्ट प्रदेशबंध को करता है । तथा जघन्य प्रदेशबंध में इससे विपरीत जानना ॥210॥