
आउक्कस्स पदेसं छक्कं मोहस्स णव दु ठाणाणि ।
सेसाण तणुकसाओ बंधदि उक्कस्सजोगेण ॥211॥
अन्वयार्थ : आयुकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशबंध छ: गुणस्थानों में रहने वाला करता है । मोहनीय का नवमें गुणस्थानवर्ती करता है । और शेष ज्ञानावरणादि छह कर्मों का सूक्ष्मसांपराय गुणस्थानवर्ती करता है । यहाँ सब जगह उत्कृष्ट योग द्वारा ही बंध जानना ॥211॥
| मूल प्रकृतियों में उत्कृष्ट प्रदेशबंध के गुणस्थान |
| कर्म | गुणस्थान |
| आयु | 7 |
| मोहनीय | 9 |
| शेष 6 कर्म | 10 |