+ योगस्थान -
जोगट्ठाणा तिविहा उववादेयंतवड्ढिपरिणामा ।
भेदा एक्केक्कंपि चोसभेदा पुणो तिविहा ॥218॥
अन्वयार्थ : उपपाद योगस्थान, एकांतानुवृद्धि योगस्थान, परिणाम योगस्थान - इस प्रकार योगस्थान तीन प्रकार के हैं । और एक-एक भेद के भी 14 जीवसमास की अपेक्षा चौदह-चौदह भेद हैं । तथा ये 14 भी सामान्य, जघन्य और उत्कृष्ट की अपेक्षा तीन-तीन प्रकार के हैं ॥218॥