हिताहितप्राप्तिपरिहारसमर्थं हि प्रमाणं ततो ज्ञानमेव तत् ॥2॥
अन्वयार्थ : जो हित की प्राप्ति और अहित का परिहार कराने में समर्थ है वही प्रमाण है और वह ज्ञान ही हो सकता है ।
Meaning : Since pramāna enables one to acquire things favorable and relinquish things unfavorable, therefore, it can be nothing but knowledge .
टीका