मुख्तार :
अन्तरंग और बहिरंग निमित्त के वश से जो नवीन अवस्था उत्पन्न होती है उसे उत्पाद कहते हैं । जैसे, मिट्टी के पिंड की घट पर्याय । पूर्व अवस्था के नाश को व्यय कहते हैं । जैसे, घट की उत्पत्ति होने पर पिण्ड प्राकृति का व्यय । अनादिकालीन पारिणामिक स्वभाव है, उसका व्यय और उत्पाद नहीं होता किन्तु 'घ्रुवरूप से' स्थिर रहता है इसलिये इसे घ्रुव कहते है । जैसे, पिण्ड और घट अवस्था में मिट्टी का अन्वय बना रहता है । (स.सि.) । |