
मुख्तार :
गुण-गुणी, पर्याय-पर्यायी का भेद अथवा द्रव्य में पर्याय या गुण-भेद निश्चय-नय का विषय नहीं है, जैसा कि समयसार गाथा ६ व ७ में कहा गया है । अन्य द्रव्य के सम्बन्ध से द्रव्य में उपचरित होने वाले धर्म भी निश्चय-नय का विषय नहीं है । अतः इस निश्चय-नय का विषय, भेद और उपचार की अपेक्षा से रहित अखण्ड द्रव्य है । गाथा ४ में कहा भी गया है कि निश्चय नय का हेतु द्रव्यार्थिक नय है । |