+ तीर्थंकर-वाणी : सामान्य-विशेषात्मक -
तित्थयरवयणसंगह-विसेसपत्थारमूलवागरणी ।
दव्वट्ठिओ य पज्जवणओ य सेसा वियप्पा सिं ॥3॥
तीर्थंकरवचन संग्रहविशेषप्रस्तारमूलव्याकरणौ ।
द्रव्यार्थिकश्च पर्यवनयश्च शेषा विकल्पास्तयो: ॥3॥
अन्वयार्थ : [तित्थयरवयण] तीर्थंकर (के) वचन (वचनों का) [संगह] संग्रह (सामान्य और) [विसेस पत्थार] विशेष प्रस्तार (के) [मूलवागरणी] मूल व्याख्याता [दव्वट्ठियो] द्रव्यार्थिक(नय) [य]और [पज्जवणयो] पर्यायार्थिक नय (मूल में दो नय हैं) [य] और [सेसा] शेष (नय) [सिं] उन (दोनों नयों के) [वियप्पा] विकल्प (भेद) हैं ।
Meaning : The Noumenal (Dravyarthika) and the Phenomenal (Paryayarthika) i.e. the analytical methods of inquiry, are the two fundamental methods (the two Nayas) that cover the general and the particular view.points of things as stated by Tirthankaras. All other analytical methods of inquiry fall under these two heads only.

  विशेष