+ निक्षेप -- लोक व्यवहार -
नामं ठवणा दविए त्ति एस दव्यट्ठियस्स निक्खेवो ।
भावो उ पज्जवट्ठिअस्स परूवणा एस परमत्थो ॥6॥
नाम-स्थापना-द्रव्यमिति एष द्रव्यार्थिकस्य निक्षेपः ।
भावस्तु पर्यायार्थिकस्य प्ररूपणा एष परमार्थः ॥6॥
अन्वयार्थ : [णामं ठवणा दविए] नाम स्थापना द्रव्य (निक्षेप) [त्ति] इस प्रकार [एस] यह (तीनों निक्षेप) [दव्वट्ठियस्स] द्रव्यार्थिक (नय) के [णिक्खेवो] निक्षेप हैं [उ भावो] किन्तु भाव (निक्षेप) [पज्जवड्डियस्स] पर्यायार्थिक (नय) की [परूवणा] प्ररूपणा (कथनी) (होने से) [एस] यह [परमत्थो] परमार्थ है ।
Meaning : Name (Nama)picture (Sthapana) and potentiality (Dravya) are the varieties of Niksepa which are applicable to Dravyastika while Bhava includes under it Paryayastika.

  विशेष