+ एक द्रव्य में दोनों पर्यायें (अवस्थायें) -
वंजणपज्जायस्स उ 'पुरिसो' 'पुरिसो' त्ति णिच्चमवियप्पो ।
बालाइवियप्पं पुण पासई से अत्थपज्जाओ ॥34॥
व्यंजनपर्यायस्य तु पुरुषः पुरुष इति नित्यमविकल्पः ।
बालादिविकल्पं पुनः पश्यति सोऽर्थपर्यायः ॥34॥
अन्वयार्थ : [वंजणपज्जायस्स] व्यंजनपर्याय का (अनुगमन करने वाले को) [उ] तो [पुरिसो] पुरुष [पुरिसो] पुरुष [त्ति] यह (ऐसी) [णिच्चमवियप्पो] नित्य निर्विकल्प (भेदहीन प्रतीति होती है) [पुण] फिर [बालाइवियप्पं] बाल (युवा आदि भेदों) आदि विकल्पों को [पासइ] देखा जाता (है) [से] वह [अत्थपज्जाओ] अर्थपर्याय है ।
Meaning : To a man who looks from Vyanjana Paryaya point of view, a man-variation appears to be one, without any particular, simply a man. If, however, he looks at the subvariations of 'a boy', 'a youth' etc. it means he is looking from an Artha Paryaya point of view.

  विशेष