+ सविकल्प या निर्विकल्प मानना अनिश्चितता -
सवियप्प-णिव्वियप्पं इय पुरिसं जो भणेज्ज अवियप्पं ।
सवियप्पमेव वा णिच्छएण ण स निच्छिओ समए ॥35॥
सविकल्पनिर्विकल्पमितः पुरुषो यो भणेदविकल्पम् ।
सविकल्पमेव वा निश्चयेन न स निश्चितः समये ॥85॥
अन्वयार्थ : जो [सवियप्पणिव्वियप्पं] सविकल्प-निर्विकल्प (रूप द्रव्य है) [इय] इस कारण [पुरिसं] पुरुष को [अवियप्पं] निर्विकल्प (मात्र) [सवियप्पमेव] सविकल्प (मात्र) ही [वा] अथवा [भणेज्ज] कहता है [स] वह (मनुष्य) [समए] आगम (शास्त्र) में [ण] नहीं [णिच्छिओ] निश्चित (स्थिरबुद्धि) है ।
Meaning : Thus when in fact a man is both devoid of subdivisions and endowed with subdivisions to say that he is absolutely devoid of subdivisions or to say that he is nothing but subdivisions is faulty and unscientific.

  विशेष