धनुषां षट्चत्वारि द्वे च सहस्रे शतानि पंचैव ।
हस्ता: सप्तारत्नि: षट्कालिकमानतोत्सेध: ॥१०॥
पल्यानि त्रीणि द्वे तथैककं वर्षपूर्वकोटी च ।
विंशच्छतं च विंशतिरब्दानां तन्नृणामायु: ॥११॥
अन्वयार्थ : पहले काल में मनुष्यों की ऊँचाई छह हजार धनुष, दूसरे में चार हजार धनुष, तीसरे में दो हजार धनुष, चौथे में पाँच सौ धनुष, पाँचवें में सात हाथ और छठे में १ अरत्निप्रमाण होती है और उन मनुष्यों की आयु पहले काल में तीन पल्य, दूसरे में दो पल्य, तीसरे में एक पल्य, चौथे में एक करोड़ वर्ष पूर्व, पाँचवें में एक सौ बीस वर्ष, छठे में बीस वर्ष होती है ॥१०-११॥