अथ पुष्पदंततीर्थे नववारिधिकोटिगणनया कलिते ।
पल्योपमतुर्यांशे शेषे तत् श्रुतमवाप विच्छेदम् ॥२५॥
पल्यचतुर्भागमिते काले तीर्थे तत: समुत्पन्न: ।
शीतलजिन: स पुनराविष्कृतवांस्तत् श्रुतविशेषम् ॥२६॥
शीतलतीर्थे सागरशतेन षट्षष्ठिलक्षमितवर्षै: ।
षड्विंशत्या वर्षसहस्रैर्न्यर्न्यूनैकवाद्र्धिकोटिमिते ॥२७॥
पल्यार्धमात्रकाले शेषे तत्पुनरजन्य विच्छिन्नम् ।
मितवति गतिवति काले ततोऽभवत्तीर्थकृच्छ्रेयान् ॥२८॥
श्रेयस्तीर्थमपि१ चतुष्पंचाशत्सागरोपम प्रमिते ।
पल्यत्रिचतुर्भागे शेषे तत्पुनरवापान्तम् ॥२९॥
पल्यत्रिचतुर्भाग प्रमिते काले गते ततो जात: ।
श्रीवासुपूज्यभगवान् सोऽप्याविष्कृत्य तन्मुक्त: ॥३०॥
अन्वयार्थ : [अथ] तदनन्तर [नववारिधि कोटिगणनया कलिते] नौ करोड़ सागर प्रमाण गणना से युक्त, पुष्पदन्त भगवान् के [तीर्थे] तीर्थ में [पल्योपम तुर्यांशे शेषे] पल्योपम के चतुर्थांश के शेष रहने पर [तत्] वह [श्रुतं] भगवान् की वाणी रूप श्रुतज्ञान [विच्छेद] समाप्ति को [अवाय] प्राप्त हो गया।
[पल्यचतुर्भागमिते] पल्य के चौथाई भाग प्रमाण [काले] काल में [तीर्थे] तीर्थ के विच्छेद होने पर [ततः] तदनन्तर [पुनः] फिर [शीतलजिनः] शीतलनाथ दशवें तीर्थंकर [समुत्पन्नः] उत्पत्र हुए [सः] उन्होंने [तत्] वह पूर्व तीर्थंकरों द्वारा प्रणीत [श्रुत विशेषम्] श्रुतज्ञान [पुनः] फिर से [आविष्कृतवान्] प्रकट किया।
[शीतल तीर्थे] शीतलनाथ दशवे तीर्थंकर के तीर्थ के [सागर शतेन] सौ सागर [षट्षष्टि लक्ष मितवर्षे:] छ्यासठ लाख [षविंशत्या] छब्बीस [वर्ष सहने] हजार वर्ष [न्यूनैक वार्धिककोटिमिते] कम एक करोड़ सागर परिमित अन्तराल में [पल्याई मात्र काले मितवति शेषे काले गतवति] पल्य के आधे प्रमाण शेष काल के बीतने पर शीतलनाथ भगवान द्वारा उपदिष्ट [तीर्थ] धर्म अविच्छिन्न रहा। हाँ आधे पल्य की वह धर्म परम्परा टूट गयी, तब [श्रेयान तीर्थकृत्] श्रेयांस नाथ ११वें तीर्थंकर [अभवत्] हुए ।
[तत्] वह [श्रेयस्तीर्थमपि] श्रेयांसनाथ ग्यारहवें तीर्थंकर द्वारा समुपदिष्ट तीर्थ धर्म [अपि] भी, [चतुपञ्चाशत्सागरोपम प्रमिते] चौवन सागर प्रमाण काल में [पल्यत्रिचतुर्भाग] पल्य के 3/4 भाग के शेष रहने पर [अन्तम्] समाप्ति को [अवाप] प्राप्त हो गया।
[ततो] उसके बाद [पल्यत्रिचतुर्भागे प्रमिते काले गते] पल्य का 3/4 भाग बीतने पर [श्रीवासुपूज्यभगवान्] श्री वासुपूज्य भगवान् [जातः] हुए [सःअपि] वे भी [आविष्कृत्य] धर्मश्रुत को प्रकट करके [मुक्तः जातः] मुक्त हुए।