श्लोकद्वयेन वृत्तेनैकैन चतुराशीतिशत मितार्याभि: ।
सप्ताशीति च शतेन ग्रन्थेनायं परिसमाप्तो ॥१८७॥
अन्वयार्थ : ३२ अक्षर के श्लोक प्रमाण इस श्रुतावतार के १८७ आर्याछंदों में २०७ श्लोक प्रमाण हो जावेंगे, ऐसा समझना चाहिए।
अर्थ-दो श्लोक, एक शृग्धरा वृत्त एवं एक सौ चौरासी आर्याछंदों द्वारा इस तरह कुल १८७ गाथा (पद) प्रमाण यह ग्रंथ समाप्त हुआ।
नोट-ऊपर लिखित गणना के अनुसार कोष्ठक गत गाथा होनी चाहिए।
॥इति श्रुतावतार कथा समाप्ता॥