+ मतप्रवर्तकों के मुखिया की उत्पत्ति -
उसहजिणपुत्तपुत्तो मिच्छत्तकलंकिदो महामोहो ।
सव्वेसिं भट्टाणं धुरि गणिओ पुव्वसूरिहिं ॥3॥
ऋषभजिनपुत्रपुत्रो मिथ्यात्वकलंकितो महामोहः ।
सर्वेषां भट्टानां घुरि गणितः पूर्वसूरिभि: ॥३॥
अन्वयार्थ : पूर्वाचार्यों के द्वारा, भगवान्‌ ऋषभदेव का महामोही और मिथ्यात्वी पोता 'मरीचि' तमाम दार्शनिकों या मत-प्रवर्तकों का अगुआ गिना गया है ।