सिरिभद्दबाहुगणिणो सीसो णामेण संति आइरिओ ।
तस्स य सीसो दुट्ठो जिणचंदों मंदचारित्तो ॥12॥
श्रीभद्रबाहुगणिन: शिष्यो नाम्ना शान्ति आचार्य: ।
तस्य च शिष्यो दुष्टो जिनचन्द्रो मन्दचारित्र: ॥१२॥
अन्वयार्थ : श्रीभद्रबाहुगणि के शिष्य शान्ति नाम के आचार्य थे । उनको 'जिनचन्द्र' नाम का एक शिथिलाचारी और दुष्ट शिष्य था ।