तेण कियं मयमेयं इत्थीणं अत्थि तब्भवे मोक्खो ।
केवलणाणीण पुणो अद्दक्खाणं तहा रोओ ॥13॥
तेन कृतं मतमेतत् स्रीणां अस्ति तद्भवे मोक्षः ।
केवलज्ञानिनां पुनः अद्दक्खाणं (?) तथा रोगः ॥१३॥
अन्वयार्थ : उसने यह मत चलाया के स्त्रियों को उसी भव में स्त्री-पर्याय से मोक्ष प्राप्त हो सकता है और केवलज्ञानी भोजन करते हैं तथा उन्हें रोग भी होता है ।