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प्रकृति बंध संबंधी नियम

  विशेष 

विशेष :


प्रकृति बंध संबंधी नियम
मूल प्रकृति बंध संबंधी नियम
ज्ञान-दर्शनावरण ज्ञानावरणी, दर्शनावरणी दोनों युगपत् बँधती है
वेदनीय साता नरकगति के साथ न बँधे, शेष गति के साथ बँधे
असाता चारों गति सहित बँधे
साता, असाता प्रतिपक्षी, एक साथ न बँधे
मोहनीय पुरुष वेद, स्त्री वेद, हास्य, रति नरकगति सहित न बँधे
आयु तिर्यंचायु सप्तम पृथिवी में नियम से बँधे
मनुष्यायु तेज, वात, काय को न बँधे
देवायु भोग-भूमिज को देवायु ही बंधे
आयु सामान्य उस-उस गति सहित ही बँधे
नाम नरक / देवगति अपर्याप्त अवस्था में नहीं बंधती
अपर्याप्त देव / नारकी नहीं बांधते
जाति-चतुष्क नारकी नहीं बांधते
विकलत्रय जाति देव नहीं बांधते
औदारिक व औदारिकमिश्र शरीर देव-नरकगति सहित न बँधे
वैक्रियक शरीर / अंगोपांग देव-नरकगति सहित ही बँधे
तीर्थंकर नरक व तिर्यंचगति के साथ न बँधे, सम्यक्त्वसहित ही बँधे
आहारक द्विक संयमसहित ही बँधे
अंगोपांग सामान्य त्रस पर्याप्त व अपर्याप्त सहित ही बँधे
औदारिक अंगोपांग तिर्यंच-मनुष्यगति सहित ही बँधे
संहनन सामान्य त्रस पर्याप्त व अपर्याप्त प्रकृति सहित ही बँधे, देव / नरक गति सहित न बंधे
हुंडक संस्थान जाति-चतुष्क के साथ हुंडक संस्थान ही बंधे
आनुपूर्वी सामान्य उस-उस गति सहित ही बँधे, अन्य गति सहित नहीं
परघात, उच्छ्वास पर्याप्त सहित ही बँधे
आतप पृथिवीकाय बादर पर्याप्त सहित ही बँधे
उद्योत तेज, वात, साधारण वनस्पति, बादर, सूक्ष्म तथा अन्य सर्व सूक्ष्म नहीं बाँधते
विहायोगति-द्विक, स्वर-द्विक त्रस पर्याप्त सहित ही बँधे
स्थिर, शुभ, यशस्कीर्ति, आदेय, सुभग, सुस्वर, प्रशस्त विहायोगति नरकगति के साथ न बँधे
दुस्वर, अनादेय, दुर्भग, अप्रशस्त विहायोगति देवगति के साथ न बँधे
गोत्र उच्च गोत्र नरक-तिर्यंचगति के साथ न बँधे
नीच गोत्र देव-गति के साथ न बंधे