+ कर्मों में विभाजन -
कर्मों में विभाजन

  विशेष 

विशेष :


कर्मों में विभाजन
सर्वघाति देशघाति
20 (केवलज्ञानावरण, केवलदर्शनावरण, पाँच निद्रा, अनंतानुबंधी-4, अप्रत्याख्यानावरण-4, प्रत्याख्यानावरण-4, मिथ्यात्व) + सम्यग्मिथ्यात्व* 26 (ज्ञानावरण-4 [मति-श्रुत-अवधि-मन:पर्यय], दर्शनावरण-3 [चक्षु-अचक्षु-अवधि], सम्यक्त्वप्रकृति, संज्वलन-4, नोकषाय-9, अंतराय-5)
घातिया कर्मों में ही सर्व-घाति और देश-घाति के विकल्प हैं
प्रशस्त अप्रशस्त
42 (सातावेदनीय, 3 आयु [तिर्यंच-मनुष्य-देव], उच्चगोत्र, मनुष्य-द्विक, देव-द्विक, पंचेन्द्रिय जाति, 5-शरीर, 3-अंगोपांग, 4-वर्ण-चतुष्क, समचतुरस्र-संस्थान, वज्रऋषभनाराच-संहनन, अगुरुलघु, प्रशस्त विहायोगति, परघात, आतप, उद्योत, उच्छ्वास, पर्याप्तक, प्रत्येक, स्थिर, शुभ, सुभग, सुस्वर,आदेय, यशस्कीर्ति, त्रस, बादर, निर्माण, तीर्थंकर) 100 (घाति कर्म की सभी-४७, असातावेदनीय-१, नीच गोत्र-१, नरकायु-१ और नामकर्म-५० [नरक-द्विक-२, तिर्यंच-द्विक-२, जातिचतुष्क-४, अन्त के संस्थान-५, अन्त के संहनन-५, अप्रशस्त वर्ण चतुष्क-२०, उपघात 1, अप्रशस्त विहायोगति-१, स्थावरचतुष्क-४, अशुभ-१, दुर्भग-चतुष्क-४, अस्थिर-१])
घातिया कर्मों की सभी प्रकृतियाँ अप्रशस्त हैं
ध्रुव अध्रुव
47 (5-ज्ञानावरण, 9-दर्शनावरण, 5-अंतराय, मिथ्यात्व, 16 कषाय, भय-जुगुप्सा, तेजस-कार्माण, अगुरुलघु, उपघात, निर्माण, वर्ण-चतुष्क) 73 (2-वेदनीय, 7-नोकषाय, 4-आयु, 4-गति, 5-जाति, औदारिक-द्विक, वैक्रियिक-द्विक, आहारक-द्विक, 6-संहनन, 6-संस्थान, 4-आनुपूर्वी, परघात, आतप, उद्योत, उच्छ्वास, 2-विहायोगति, त्रस-स्थावर, बादर-सूक्ष्म, पर्याप्त-अपर्याप्त, प्रत्येक-साधारण, स्थिर-अस्थिर, सुभग-दुर्भग, शुभ-अशुभ, सुस्वर-दुस्वर, आदेय-अनादेय, यश्स्कीर्ति-अयश्स्कीर्ति, तीर्थंकर, 2-गोत्र)
जीव-विपाकी पुद्गल-विपाकी क्षेत्र-विपाकी भव-विपाकी
78 (47-घातिया कर्म, 2-वेदनीय, 2-गोत्र, 4 गति, 5 जाति, बादर-सूक्ष्म, पर्याप्त-अपर्याप्त, सुस्वर-दु:स्वर, आदेय-अनादेय, यशकीर्ति-अयशकीर्ति, त्रस-स्थावर, 2-विहायोगति, सुभग-दुर्भग, उच्छवास, तीर्थंकर) 62 (शरीर-५, बन्धन-५, संघात-५, संस्थान-६, संहनन-६, आंगोपांग-३, वर्ण-५, गन्ध-२, रस-५, स्पर्श-८, अगुरुलघु, उपघात-परघात, आतप-उद्योत, निर्माण, प्रत्येक-साधारण, स्थिर-अस्थिर, शुभ-अशुभ) 4 (नरक गत्यानुपूर्वी, तिर्यक् गत्यानुपूर्वी, मनुष्य गत्यानुपूर्वी और देव गत्यानुपूर्वी) 4 (नरकायु, तिर्यंचायु, मनुष्यायु और देवायु)