विशेष :
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गुणस्थानों के विभिन्न विभाजन |
| 14 अयोगकेवली |
योग की अपेक्षा |
विरत |
केवल ज्ञानी |
सर्वज्ञ |
परमगुरु |
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अप्रमत्त |
वीतरागी |
अनन्त सुखी |
परमात्मा |
शुद्धोपयोग |
धार्मिक |
यथाख्यात चारित्र |
| 13 सयोगकेवली |
| 12 क्षीणमोह |
चारित्र मोहनीय की अपेक्षा |
ज्ञानी |
छद्मस्थ |
अप्रमत्त गुरु |
क्षपक श्रेणी |
अतीन्द्रिय सुखी |
अंतरात्मा |
| 11 उपशान्तमोह |
उपशम श्रेणी |
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| 10सूक्ष्मसाम्पराय |
क्षपक श्रेणी |
मिश्र |
मिश्र |
सूक्ष्म-साम्परायिक चारित्र |
| 9 अनिवृतिकरण |
सामायिक छेदोपस्थापना परिहार-विशुद्धि चारित्र |
| 8 अपूर्वकरण |
| 7 अप्रमत्तसंयत |
प्रमत्ताप्रमत्त गुरु |
| 6 प्रमत्तसंयत |
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प्रमत्त |
शुभोपयोग |
| 5 देशविरत |
विरताविरत |
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संयमासंयम |
| 4 अविरत |
दर्शन मोहनीय की अपेक्षा |
अविरत |
असंयम |
| 3 मिश्र |
मिश्र |
रागी |
दुखी |
बहिरात्मा |
अशुभोपयोग |
अधार्मिक |
| 2 सासादन |
अज्ञानी |
| 1 मिथ्यात्व |
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