विशेष :
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सामान्य से गुणस्थानों में बंध* / अबंध / व्युच्छिति |
बंध |
अबंध |
व्युच्छिति |
14 अयोगकेवली |
0 |
120 |
0 |
13 सयोगकेवली |
1 |
119 |
1 (साता-वेदनीय) |
12 क्षीणमोह |
1 |
119 |
0 |
11 उपशान्तमोह |
1 |
119 |
0 |
10 सूक्ष्मसाम्पराय |
17 |
103 |
16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ४ [चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल], अंतराय ५, यशःकीर्ति, उच्च गोत्र) |
9 अनिवृतिकरण |
22 |
98 |
5 (संज्ज्वलन ४, पुरुष-वेद) |
8 अपूर्वकरण |
58 |
62 |
36 (निद्रा, प्रचला, तीर्थंकर, निर्माण, प्रशस्त विहायोगति, पंचेन्द्रिय जाति, शरीर ४ [तेजस, कार्माण, आहारक, वैक्रियिक], अंगोपांग २ [आहारक,वैक्रियिक], समचतुस्र संस्थान, देव गति, देव गत्यानुपूर्व्य, स्पर्श,रस,गंध,वर्ण, हास्य, रति, जुगुप्सा, भय, अगुरुलघुत्व, उपघात, परघात, उच्छवास, त्रस, बादर, पर्याप्त, स्थिर, प्रत्येक, शुभ, सुभग, सुःस्वर, आदेय) |
7 अप्रमत्तसंयत |
59 (+आहारक द्विक) |
61 |
1 (देव आयु) |
6 प्रमत्तसंयत |
63 |
57 |
6 (असाता-वेदनीय, अरति, शोक, अशुभ, अस्थिर, अयशःकीर्ति) |
5 देशविरत |
67 |
53 |
4 (प्रत्याख्यानावरण ४) |
4 अविरत |
77 (+तीर्थंकर, देवायु, मनुष्यआयु) |
43 |
10 (अप्रत्याख्यानावरण ४, मनुष्य ३ [आयु, गति, आनुपूर्व्य], औदारिक शरीर-अंगोपांग, वज्रवृषभनाराच संहनन) |
3 मिश्र |
74 |
46 (-देव आयु, मनुष्य आयु) |
0 |
2 सासादन |
101 |
19 |
25 (अनंतानुबंधी ४, स्त्री-वेद, निद्रा ३ [निद्रा-निद्रा, प्रचला-प्रचला, स्त्यानगृद्धि], संहनन ४ [वज्र-नाराच, नाराच, अर्द्ध नाराच, कीलक], संस्थान ४ [स्वाति, न्याग्रोधपरिमन्डल, कुब्जक, वामन], तिर्यन्च ३ [आयु, आनुपूर्व्य, गति], नीच-गोत्र, अप्रशस्त-विहायोगति, उद्योत, दुर्भग, दुःस्वर, अनादेय) |
1 मिथ्यात्व |
117 |
3 (आहारक द्विक, तीर्थंकर) |
16 (मिथ्यात्व, हुण्डकसंस्थान, नपुंसकवेद, असंप्राप्तासृपाटिका संहनन, एकेन्द्रिय, स्थावर, आतप, सूक्ष्म-त्रय, विकलेन्द्रिय, नरक-द्विक, नरकायु) |
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*बंध योग्य प्रकृतियाँ = 120 |
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