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गुणस्थानों में कर्म की सत्ता

  विशेष 

विशेष :


गुणस्थानों में सत्त्व
सत्त्व असत्त्व व्युच्छित्ति
अयोगकेवली चरम समय 13 135 13 (१ वेदनीय, मनुष्यत्रिक, पंचेन्द्रिय, सुभग, त्रस, बादर, पर्याप्त, आदेय, यश, तीर्थंकर, उच्चगोत्र)
द्विचरम समय 85 63 72 (५ शरीर, ५ बन्धन, ५ संघात, ६ संस्थान, ६ संहनन, ३ अंगोपांग, ५ वर्ण, २ गन्ध, ५ रस, ८ स्पर्श, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, स्वरद्वय, देवद्विक, विहायोगतिद्वय, दुर्भग, निर्माण, अयश, अनादेय, प्रत्येक, अपर्याप्त, अगुरुलघुचतुष्क, १ वेदनीय, नीचगोत्र)
सयोगकेवली 85 63 0
क्षपक श्रेणी क्षीणमोह चरम समय 99 49 14 (५ ज्ञानावरणी, ४ दर्शनावरणी, ५ अन्तराय)
द्विचरम समय 101 47 2 (निद्रा, प्रचला)
सूक्ष्मसाम्पराय 102 46 1 (संज्वलन लोभ)
अनिवृतिकरण भाग 9 103 45 1 (संज्वलन माया)
भाग 8 104 44 1 (संज्वलन मान)
भाग 7 105 43 1 (संज्वलन क्रोध)
भाग 6 106 42 1 (पुरुष-वेद)
भाग 5 112 36 6 (६ नोकषाय)
भाग 4 113 35 1 (स्त्री वेद)
भाग 3 114 34 1 (नपुंसक वेद)
भाग 2 122 26 8 (प्रत्याख्यान ४, अप्रत्याख्यान ४)
भाग 1 138 10 16 (नरकद्विक, तिर्यंच-द्विक, जाति-चतुष्क, स्त्यानत्रिक, आतप, उद्योत, सूक्ष्म, साधारण, स्थावर)
अपूर्वकरण 138 10 0
चरम सम्यक्त्वी क्षायिक सम्यक्त्वी 4 से 7 139 2 2 (नरकायु, तिर्यंचायु)
सत्व-योग्य प्रकृति 141 = 148 - 7 (दर्शनमोह ३, अनन्तानुबन्धी ४)
उपशम श्रेणी 8-11 146 2 0
प्रमत्तसंयत, अप्रमत्तसंयत 146 2 0
देशविरत 147 1 1 (तिर्यंचायु)
अविरत 148 0 1 (नरकायु)
मिश्र 147 1 (तीर्थंकर) 0
सासादन 145 3 (तीर्थंकर,आहारक-द्विक) 0
मिथ्यात्व 148 0 0