विशेष :
गुणस्थानों में परीषह |
परीषह |
कारण |
गुणस्थान |
क्षुधा, पिपासा, शीत, उष्ण , दंशमशक, चर्या, श्य्या, वध, रोग, तृणस्पर्श और मल |
वेदनीय |
1 से 14 |
अलाभ |
अंतराय |
1 से 12 |
प्रज्ञा, अज्ञान |
ज्ञानावरण |
1 से 12 |
नाग्न्य, अरति, स्त्री, निषद्या, आक्रोश, याचना और सत्कारपुरस्कार |
चारित्रमोह |
1 से 9 |
अदर्शन |
दर्शन-मोहनीय |
1 से 9 |
एक जीव के एक समय में एक-साथ 19 परीषह हो सकते हैं । (शीत/उष्ण और शैय्या/निशद्या/चर्या में से एक-एक) |
तत्त्वार्थ-सूत्र 9.9 से 9.17 |
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