+ गति-आगति -
गति-आगति

  विशेष 

विशेष :


जीवों में गति
देव मनुष्य तिर्यंच नरक
भवनवासी व्यंतर ज्योतिष १-२ स्वर्ग ३-१२ स्वर्ग १३-१६ स्वर्ग नव ग्रैवेयक अनुदिश/अनुत्तर भोगभूमि कर्मभूमि भोगभूमि एकेंद्रिय विकलत्रय पंचेन्द्रिय पहला २-६
देव भवनत्रिक, देवियाँ, १-२ स्वर्ग नहीं हाँ नहीं हाँ+ नहीं हाँ नहीं
३-१२ स्वर्ग नहीं
१३वें स्वर्ग से सर्वार्थ-सिद्धि नहीं
मनुष्य मि. पर्याप्तक कर्मभूमि हाँ हाँ^ नहीं हाँ
मि. अपर्याप्तक नहीं हाँ नहीं हाँ नहीं
मि. भोगभूमि हाँ नहीं
सा. कर्मभूमि हाँ नहीं हाँ नहीं
अ.स. कर्म-भूमि नहीं हाँ हाँ^ नहीं हाँ नहीं हाँ नहीं हाँ नहीं
संयातासंयत नहीं
संयत हाँ नहीं
पुलाक मुनि हाँ नहीं
बकुश, प्रतिसेवना मुनि हाँ नहीं
कषायकुशील, निर्ग्रन्थ मुनि हाँ नहीं
अ.स. भोगभूमि हाँ नहीं
तिर्यंच मि. संज्ञी पर्याप्तक पंचेन्द्रिय कर्मभूमि हाँ नहीं हाँ
असंज्ञी पर्याप्तक पंचेन्द्रिय कर्मभूमि हाँ नहीं हाँ नहीं हाँ नहीं
पंचेन्द्रिय अपर्याप्त, विकलेन्द्रिय, जल, पृथ्वी, वनस्पति नहीं हाँ नहीं
अग्नि / वायुकायिक नहीं
मि. भोगभूमि हाँ नहीं
नित्य / इतर निगोद नहीं हाँ नहीं हाँ नहीं
सा. कर्मभूमि हाँ नहीं हाँ
अ.स. कर्मभूमि नहीं हाँ हाँ* नहीं हाँ नहीं हाँ नहीं हाँ नहीं
संयातासंयत कर्मभूमि नहीं
अ.स. भोगभूमि हाँ नहीं
नरक १-६ नरक नहीं हाँ नहीं हाँ नहीं
७ नरक नहीं
मि. = मिथ्यादृष्टि सा. = सासादन अ.स. = असंयत सम्यग्दृष्टि * = २ मत हैं ^ = १६ स्वर्ग से ऊपर बाह्य में निर्ग्रन्थ वेष + = देव अग्नि और वायु में पैदा नहीं होते