विशेष :
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देवों में आयु आदि जानकारी |
देव | देवियों की आयु |
ज.आयु | उ.आयु | स्वाच्छोश्वास | आहार | अवगाहना | लेश्या | प्रविचार | अल्प-बहुत्व | संख्या | ज.आयु | उ.आयु |
अच्युत |
२० सागर |
२२ सागर |
२२ पक्ष |
२२,००० वर्ष |
३ हाथ |
शुक्ल |
मन |
ऊपर से संख्यात गुणा |
पल्य के असंख्यातवें भाग |
१ पल्य |
५५ पल्य |
आरण |
४८ पल्य |
प्राणत | १८ सागर |
२० सागर |
२० पक्ष |
२०,००० वर्ष |
ऊपर से संख्यात गुणा |
पल्य के असंख्यातवें भाग |
४१ पल्य |
आनत |
३४ पल्य |
सहस्रार | १६ सागर |
१८ सागर |
१८ पक्ष |
१८,००० वर्ष |
३ १/२ हाथ |
पद्म,शुक्ल |
शब्द |
ऊपर से असंख्यात गुणा |
जगतश्रेणी / 23√(जगतश्रेणी) |
२७ पल्य |
शतार |
२५ पल्य |
महाशुक्र | १४ सागर |
१६ सागर |
१६ पक्ष |
१६,००० वर्ष |
४ हाथ |
ऊपर से असंख्यात गुणा |
जगतश्रेणी / 25√(जगतश्रेणी) |
२३ पल्य |
शुक्र |
२१ पल्य |
कापिष्ठ | १० सागर |
१४ सागर |
१४ पक्ष |
१४,००० वर्ष |
५ हाथ |
पद्म |
रूप |
ऊपर से असंख्यात गुणा |
जगतश्रेणी / 27√(जगतश्रेणी) |
१९ पल्य |
लान्तव |
१७ पल्य |
ब्रह्मोत्तर | ७ सागर |
१० सागर |
१० पक्ष |
१०,००० वर्ष |
ऊपर से असंख्यात गुणा |
जगतश्रेणी / 29√(जगतश्रेणी) |
१५ पल्य |
ब्रह्म |
१३ पल्य |
माहेन्द्र |
२ सागर |
७ सागर |
७ पक्ष |
७००० वर्ष |
६ हाथ |
पीत,पद्म |
स्पर्श |
ऊपर से असंख्यात गुणा |
जगतश्रेणी / 211√(जगतश्रेणी) |
९ पल्य |
सानत्कुमार |
११ पल्य |
ईशान |
१ पल्य |
२ सागर |
२ पक्ष |
२००० वर्ष |
७ हाथ |
पीत |
काय |
ऊपर से असंख्यात गुणा |
जगतश्रेणी x 23√(घनांगुल) |
७ पल्य |
सौधर्म |
५ पल्य |
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अल्प-बहुत्व आधार: श्री कार्तिकेयअनुप्रेक्षा, गाथा: 158, श्री गोम्मटसार, गाथा : 161,162 |
देवियों की आयु पाँच से लेकर दो-दो मिलाते हुए सत्ताईस पल्य तक करें । पुनः उससे आगे सात-सात बढ़ाते हुए आरण-अच्युत पर्यन्त करना चाहिए ॥मू.चा.११२२॥ |
| नरकों में आयु आदि जानकारी |
नाम | भूमि का नाम | आयु | अल्प-बहुत्व | संख्या | लेश्या | पुन: पुनर्भव धारण की सीमा |
जघन्य | उत्कृष्ट | कितनी बार | उत्कृष्ट अन्तर |
पहला | धम्मा | रत्नप्रभा | दस हजार वर्ष | एक सागर | नीचे से असं. गुणा | (जगतश्रेणी x 22√(घनांगुल) - शेष नारकी | कापोत | 8 बार | 24 मुहर्त |
दूसरा | वंशा | शर्कराप्रभा | एक सागर | तीन सागर | नीचे से असं. गुणा | जगतश्रेणी / 212√(जगतश्रेणी) | मध्यम कापोत | 7 बार | 7 दिन |
तीसरा | मेघा | बालुकाप्रभा | तीन सागर | सात सागर | नीचे से असं. गुणा | जगतश्रेणी / 210√(जगतश्रेणी) | उत्कृष्ट कापोत, जघन्य नील | 6 बार | 1 पक्ष |
चौथा | अंजना | पंकप्रभा | सात सागर | दस सागर | नीचे से असं. गुणा | जगतश्रेणी / 28√(जगतश्रेणी) | मध्यम नील | 5 बार | 1 माह |
पांचवां | अरिष्ठा | धूम्रप्रभा | दस सागर | सत्रह सागर | नीचे से असं. गुणा | जगतश्रेणी / 26√(जगतश्रेणी) | उत्कृष्ट नील, जघन्य कृष्ण | 4 बार | 2 माह |
छठा | मघवा | तमप्रभा | सत्रह सागर | बाईस सागर | नीचे से असं. गुणा | जगतश्रेणी / 23√(जगतश्रेणी) | मध्यम कृष्ण | 3 बार | 4 माह |
सातवाँ | माधवी | महातमप्रभा | बाईस सागर | तैंतीस सागर | असंख्यात | जगतश्रेणी / 22√(जगतश्रेणी) | उत्कृष्ट नील | 2 बार | 6 माह |
| उन नरकों में जीवों की उत्कृष्ट स्थिति क्रम से एक, तीन, सात, दस, सत्रह, बाईस और तैंतीस सागरोपम है ॥त.सू.३/६॥ |
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अल्प-बहुत्व आधार: श्री कार्तिकेयअनुप्रेक्षा, गाथा: 159, श्री गोम्मटसार, गाथा : 153,154 |
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