विशेष :
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प्रकृति बंध (मार्गणा -- योग) |
बंध |
अबंध |
व्युच्छिति |
मन, वचन |
सत्य, अनुभय |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 120, सामान्यवत्, गुणस्थान 1 से 13 |
असत्य, उभय |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 120, सामान्यवत्, गुणस्थान 1 से 12 |
काय |
औदारिक |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 120, सामान्यवत्, गुणस्थान 1 से 13 |
औदारिक-मिश्र |
मिथ्यात्व |
109 |
5 (सुर-चतुष्क, तीर्थंकर) |
15 (16 - नरक-त्रिक + 2 आयु [मनुष्य, तिर्यञ्च]) |
सासादन |
94 |
20 |
29 (25 - 2 आयु [तिर्यञ्च, मनुष्य] + 6 [मनुष्य-गति, मनुष्य-आनुपूर्व्य, औदारिक-द्विक, वज्रवृषभनाराच संहनन]) |
अविरत सम्यक्त्व |
70 (सुर-चतुष्क, तीर्थंकर) |
44 |
69 |
सयोग-केवली |
1 |
113 |
1 |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 114 = 120 - 6 (आहारक-द्विक, नरक-द्विक, देव-नरक आयु) |
लब्ध्यपर्याप्त में बंध योग्य प्रकृतियाँ 109 = 120 - 11 (आहारक-द्विक, नरक-द्विक, देव-नरक आयु, सुर-चतुष्क, तीर्थंकर), गुणस्थान मिथ्यात्व |
वैक्रियिक |
मिथ्यात्व |
103 |
1 (तीर्थंकर) |
7 (16 - सूक्ष्मत्रय, विकलत्रय, नरक-त्रय) |
सासादन |
96 |
8 |
25 |
मिश्र |
70 |
34 (-मनुष्यायु) |
0 |
अविरत-सम्यक्त्व |
72 (+मनुष्यायु, तीर्थंकर) |
32 |
10 |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 104 = 120 - 16 (सूक्ष्मत्रय, विकलत्रय, वैक्रियिक अष्टक, आहारक द्विक) |
वैक्रियिक-मिश्र |
मिथ्यात्व |
101 |
1 (तीर्थंकर) |
7 (मिथ्यात्व, हुण्डकसंस्थान, नपुंसकवेद, असंप्राप्तासृपाटिका संहनन, एकेन्द्रिय, स्थावर, आतप) |
सासादन |
94 |
8 |
24 |
अविरत-सम्यक्त्व |
71 (तीर्थंकर) |
31 |
9 |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 102 = 120 - 18 (सूक्ष्मत्रय, विकलत्रय, वैक्रियिक अष्टक, आहारक द्विक, तिर्यञ्च-मनुष्य आयु) |
आहारक |
63 |
57 |
6 |
आहारक-मिश्र |
62 |
58 (देवायु) |
कार्मण |
मिथ्यात्व |
107 |
5 (तीर्थंकर, सुर-चतुष्क) |
13 (16-नरकत्रिक) |
सासादन |
94 |
18 |
24 (25-तिर्यञ्चायु) |
अविरत-सम्यक्त्व |
75 (तीर्थंकर, सुरचतुष्क) |
37 |
74 |
सायोग-केवली |
1 |
111 |
1 |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 112 = 120 - 8 (आहारक-द्विक, नरक-द्विक, चारों आयु) |
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