विशेष :
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प्रकृति बंध (मार्गणा -- वेद) |
बंध |
अबंध |
व्युच्छिति |
पर्याप्त |
स्त्री / नपुंसक |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 120, गुणस्थान 1 से 9 |
अपूर्वकरण तक रचना ओघवत, अनिवृत्तिकरण के प्रथम भाग के द्विचरम समय में बंध 22, अबंध 98, व्युच्छिति 1 पुरुष वेद; चरम समय में बंध 21 अबंध 99, व्युच्छिति 0 |
पुरुष |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 120, गुणस्थान 1 से 9 |
अपूर्वकरण तक रचना ओघवत, अनिवृत्तिकरण के प्रथम भाग के चरम समय में बंध 22, अबंध 98, व्युच्छिति 1 पुरुष वेद |
निवृत्त्यपर्याप्त |
स्त्री |
मिथ्यात्व |
107 |
0 |
13 (16 - नरक-त्रिक) |
सासादन |
94 |
13 |
24 (25-तिर्यञ्चायु) |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 107 = 120 - 13 (आयु ४, आहारक-द्विक, वैक्रियकषष्क, तीर्थंकर) |
नपुंसक |
मिथ्यात्व |
107 |
1 |
13 (16 -नरक-त्रिक) |
सासादन |
94 |
14 |
24 (25-तिर्यञ्चायु) |
अविरत-सम्यक्त्व |
71 (तीर्थंकर) |
37 |
9 (10-मनुष्यायु) |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 108 = 120 - 12 (आयु ४, आहारक-द्विक, वैक्रियकषष्क) |
पुरुष |
मिथ्यात्व |
107 |
5 (सुर-चतुष्क, तीर्थंकर) |
13 (16 -नरक-त्रिक) |
सासादन |
94 |
18 |
24 (25-तिर्यञ्चायु) |
अविरत-सम्यक्त्व |
75 (सुर-चतुष्क, तीर्थंकर) |
37 |
9 (10-मनुष्यायु) |
बंध योग्य प्रकृतियाँ 112 = 120 - 8 (आयु ४, आहारक-द्विक, नरक-द्विक) |
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