विशेष :
|
मूल-प्रकृतियों के अनुभाग बंध में स्वामित्व प्ररूपणा |
|
मिथ्यात्व |
असंयम |
कषाय |
योग |
स्वामित्व |
प्रत्यय |
6 कर्म |
✓ |
✓ |
✓ |
X |
वेदनीय |
✓ |
✓ |
✓ |
✓ |
|
जीव-विपाकी |
भव-विपाकी |
पुद्गल-विपाकी |
क्षेत्र-विपाकी |
विपाकदेश |
6 कर्म |
✓ |
X |
X |
X |
आयु |
X |
✓ |
X |
X |
नाम |
✓ |
X |
✓ |
✓ |
प्रशस्ताप्रशस्त |
चार घातिकर्म अप्रशस्त होते हैं। अघाति-कर्म प्रशस्त और अप्रशस्त दोनों प्रकार के होते हैं । |
|
महबंधो - 1 (अनुभाग-बंध, 24 अनुयोग-द्वार प्ररूपणा) |
|