+ उत्तर प्रकृतियों में जघन्य प्रदेशबंध के स्वामी -
उत्तर प्रकृतियों में जघन्य प्रदेशबंध के स्वामी

  विशेष 

विशेष :


उत्तर प्रकृतियों में जघन्य प्रदेशबंध के स्वामी
उत्तर प्रकुतियाँ कुल गुणस्थान
नरकगतिद्विक, देवायु, नरकायु 4 घोटमान योगस्थान का धारक असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव
आहारकद्विक 2 अप्रमत्तगुणस्थानवर्ती जीव
तीर्थंकर प्रकृति, देवचतुष्क 4 पर्याय के प्रथम समय में जघन्य उपपाद योग का धारक असंयत सम्यग्दृष्टि जीव
शेष सभी 109 अंतिम क्षुद्र भव के पहले मोड़ में स्थित सूक्ष्मनिगोदिया जीव
गोम्मटसार कर्मकाण्ड -- गाथा 216-217