विशेष :
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काय मार्गणा में कर्म का उदय |
उदय |
अनुदय |
व्युच्छिति |
स्थावर |
पृथ्वी |
मिथ्यात्व |
79 |
0 |
10 (मिथ्यात्व, सूक्ष्म, आतप, अपर्याप्त, स्त्यान-त्रिक, परघात, उद्योत, उच्छ्वास) |
सासादन |
69 |
10 |
6 (अनंतानुबंधी ४, स्थावर, एकेन्द्रिय जाति) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 79 = एकेन्द्रिय में उदय-योग्य प्रकृतियाँ 80 - साधारण |
अप (जल) |
मिथ्यात्व |
78 |
0 |
9 (मिथ्यात्व, सूक्ष्म, अपर्याप्त, स्त्यान-त्रिक, परघात, उद्योत, उच्छ्वास) |
सासादन |
69 |
9 |
6 (अनंतानुबंधी ४, स्थावर, एकेन्द्रिय जाति) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 78 = एकेन्द्रिय में उदय-योग्य प्रकृतियाँ 80 - (साधारण, आतप) |
अग्नि / वायु |
मिथ्यात्व |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 77 = एकेन्द्रिय में उदय-योग्य प्रकृतियाँ 80 - (साधारण, आतप, उद्योत) |
वनस्पति |
मिथ्यात्व |
79 |
0 |
10 (मिथ्यात्व, सूक्ष्म, साधारण, अपर्याप्त, स्त्यान-त्रिक, परघात, उद्योत, उच्छ्वास) |
सासादन |
69 |
10 |
6 (अनंतानुबंधी ४, स्थावर, एकेन्द्रिय जाति) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 79 = एकेन्द्रिय में उदय-योग्य प्रकृतियाँ 80 - आतप |
त्रस |
मिथ्यात्व |
112 |
5 (-सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, आहारक-द्विक, तीर्थंकर) |
2 (मिथ्यात्व, अपर्याप्त) |
सासादन |
109 |
8 (-नरक आनुपूर्व्य) |
7 (अनंतानुबंधी ४, जाति 3 [2,3,4 इंद्रिय]) |
मिश्र |
100 (+सम्यक-मिथ्यात्व) |
17 (-आनुपूर्व्य ३ [देव, मनुष्य, तिर्यन्च]) |
1 (सम्यकमिथ्यात्व) |
अविरत |
104 (+आनुपूर्व्य ४, सम्यक-प्रकृति) |
13 |
17 (अप्रत्याख्यानावरण ४, वैक्रियकअष्टक, आनुपूर्व्य 2 [मनुष्य, तिर्यञ्च], अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग) |
संयतासंयत |
87 |
30 |
8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत) |
प्रमत्तसंयत |
81 (+आहारकद्विक) |
36 |
5 (स्त्यान-त्रिक, आहारकद्विक) |
अप्रमत्तसंयत |
76 |
41 |
4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक प्रकृति) |
अपूर्वकरण |
72 |
45 |
6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा) |
अनिवृतिकरण |
66 |
51 |
6 (संज्वलन ३-[क्रोध, मान, माया], वेद ३-[पुरुष, स्त्री, नपुंसक]) |
सूक्ष्मसाम्पराय |
60 |
57 |
1 (संज्वलन सूक्ष्म लोभ) |
उपशान्तमोह |
59 |
58 |
2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच]) |
क्षीणमोह |
57 |
60 |
16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला], अंतराय ५) |
सयोगकेवली |
42 (+तीर्थंकर) |
75 |
30 (वेदनीय [कोइ १], वज्रवृषभनाराच संहनन, ६ संस्थान, औदारिक शरीर-अंगोपांग, तैजस-कर्माण शरीर, निर्माण, वर्णचतुष्क, अगुरुलघु, उपघात-परघात, उच्छवास, प्रत्येक, शुभ-अशुभ, स्थिर-अस्थिर, प्रशस्त-अप्रशस्त विहायोगति, सुस्वर-दुस्वर) |
अयोगकेवली |
12 |
105 |
12 (वेदनीय [कोइ १], उच्च गोत्र, मनुष्य गति, मनुष्य आयु, पंचेन्द्रिय जाति, त्रस, बादर, पर्याप्त, सुभग, आदेय, यशःकीर्ति, तीर्थंकर) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 117 = 122 - 5 (एकेन्द्रीय जाति, साधारण, सूक्ष्म, स्थावर, आतप) |
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