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इंद्रिय मार्गणा में कर्म का उदय

  विशेष 

विशेष :


इंद्रिय मार्गणा में कर्म का उदय
उदय अनुदय व्युच्छिति
एकेन्द्रीय मिथ्यात्व 80 0 11 (मिथ्यात्व, सूक्ष्म, आतप, अपर्याप्त, साधारण, स्त्यान-त्रिक, परघात, उद्योत, उच्छ्वास)
सासादन 69 11 6 (अनंतानुबंधी ४, स्थावर, एकेन्द्रिय जाति)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 80 = 122 - 42 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, वेद 2 [पुरुष, स्त्री], उच्च-गोत्र, मनुष्य-त्रिक, वैक्रियकअष्टक, औदारिक-अंगोपांग, संहनन 6, संस्थान 5, जाति 4, त्रस, सुभग, सुस्वर, दूस्वर, आदेय, विहायोगति 2, आहारक-द्विक, तीर्थंकर)
विकलत्रय मिथ्यात्व 81 0 10 (मिथ्यात्व, अपर्याप्त, स्त्यान-त्रिक, परघात, उद्योत, उच्छ्वास, दूस्वर, अप्रशस्त-विहायोगति)
सासादन 71 10 5 (अनंतानुबंधी ४, जाति 1)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 81 = 122 - 41 (सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, वेद 2 [पुरुष, स्त्री], उच्च-गोत्र, मनुष्य-त्रिक, वैक्रियकअष्टक, स्थावर, सूक्ष्म, आतप, साधारण, जाति 4, संहनन 5, संस्थान 5, सुभग, सुस्वर, आदेय, प्रशस्त विहायोगति, आहारक-द्विक, तीर्थंकर)
पंचेंद्रिय मिथ्यात्व 109 5 (-सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, आहारक-द्विक, तीर्थंकर) 2 (मिथ्यात्व, अपर्याप्त)
सासादन 106 8 (-नरक आनुपूर्व्य) 4 (अनंतानुबंधी ४)
मिश्र 100 (सम्यकमिथ्यात्व) 14 (-आनुपूर्व्य ३ [देव, मनुष्य, तिर्यन्च]) 1 (सम्यकमिथ्यात्व)
अविरत 104 (+सम्यक प्रकृति, आनुपूर्व्य ४) 10 17 (अप्रत्याख्यानावरण ४, गति २ [नरक, देव] , आयु २ [नरक, देव], आनुपूर्व्य ४ [नरक, मनुष्य, तिर्यंच, देव], वैक्रियिक शरीर, वैक्रियिक अंगोपांग, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग)
संयतासंयत 87 27 8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत)
प्रमत्तसंयत 81 (+आहारकद्विक) 33 5 (स्त्यान-त्रिक, आहारकद्विक)
अप्रमत्तसंयत 76 38 4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक प्रकृति)
अपूर्वकरण 72 42 6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा)
अनिवृतिकरण 66 48 6 (संज्वलन ३-[क्रोध, मान, माया], वेद ३)
सूक्ष्मसाम्पराय 60 54 1 (संज्वलन सूक्ष्म लोभ)
उपशान्तमोह 59 55 2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच])
क्षीणमोह 57 57 16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला], अंतराय ५)
सयोगकेवली 42 (+तीर्थंकर) 72 30 (वेदनीय [कोइ १], वज्रवृषभनाराच संहनन, ६ संस्थान, औदारिक शरीर-अंगोपांग, तैजस-कर्माण शरीर, निर्माण, वर्णचतुष्क, अगुरुलघु, उपघात-परघात, उच्छवास, प्रत्येक, शुभ-अशुभ, स्थिर-अस्थिर, प्रशस्त-अप्रशस्त विहायोगति, सुस्वर-दुस्वर)
अयोगकेवली 12 12 12 (वेदनीय [कोइ १], उच्च गोत्र, मनुष्य गति, मनुष्य आयु, पंचेन्द्रिय जाति, त्रस, बादर, पर्याप्त, सुभग, आदेय, यशःकीर्ति, तीर्थंकर)
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 114 = 122 - 8 (स्थावर, सूक्ष्म, आतप, साधारण, जाति-चतुष्क)