विशेष :
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आहार मार्गणा में कर्म का उदय |
उदय |
अनुदय |
व्युच्छिति |
आहारक |
मिथ्यात्व |
113 |
5 (-सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति, आहारक-द्विक, तीर्थंकर) |
5 (मिथ्यात्व, सूक्ष्मत्रय, आतप) |
सासादन |
108 |
10 |
9 (अनंतानुबंधी ४, जातिचतुष्क, स्थावर) |
मिश्र |
100 (+सम्यक-मिथ्यात्व) |
18 |
1 (सम्यकमिथ्यात्व) |
अविरत |
100 (+सम्यक-प्रकृति) |
18 |
13 (अप्रत्याख्यानावरण ४, वैक्रियक-द्विक, गति २ [देव, नरक], आयु २ [देव, नरक], अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग) |
संयमासंयम |
87 |
31 |
8 (प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र, तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत) |
प्रमत्तसंयत |
81 (+आहारकद्विक) |
37 |
5 (स्त्यान-त्रिक, आहारकद्विक) |
अप्रमत्तसंयत |
76 |
42 |
4 (संहनन ३ [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच], सम्यक्त्व-प्रकृति) |
अपूर्वकरण |
72 |
46 |
6 (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा) |
अनिवृतिकरण |
66 |
52 |
6 (संज्वलन ३, वेद ३) |
सूक्ष्मसाम्पराय |
60 |
58 |
1 (संज्वलन लोभ) |
उपशान्तमोह |
59 |
59 |
2 (संहनन २ [नाराच, वज्रनाराच]) |
क्षीणमोह |
57 |
61 |
16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला, चक्षु, अचक्षु], अंतराय ५) |
सयोगकेवली |
42 (+तीर्थंकर) |
76 |
42 (वेदनीय २, वज्रवृषभनाराच संहनन, ६ संस्थान, औदारिक-द्विक, तैजस-कर्माण शरीर, निर्माण, शुभ-अशुभ, स्थिर-अस्थिर, विहायोगति २, उच्च गोत्र, मनुष्य २ [गति, आयु], पंचेन्द्रिय जाति, वर्णचतुष्क, अगुरुलघुचतुष्क, त्रसचतुष्क, सुभगचतुष्क, दुस्वर, तीर्थंकर) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 118 = 122 - 4 आनुपूर्व्य |
अनाहारक |
मिथ्यात्व |
87 |
2 (तीर्थंकर, सम्यक्त्व) |
3 (मिथ्यात्व, सूक्ष्म, अपर्याप्त) |
सासादन |
81 |
8 (-नरकत्रिक) |
10 (अनंतानुबंधी ४, जातिचतुष्क, स्थावर, स्त्री-वेद) |
अविरत |
75 (+नरकत्रिक) |
14 |
51 (कषाय १२, नोकषाय ८ [स्त्री-वेद छोड़कर], गति 3 [नरक, देव, तिर्यञ्च] , आयु ३ [नरक, देव, तिर्यञ्च], आनुपूर्व्य ४, अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग, नीच गोत्र, सम्यक-प्रकृति, ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ६ [अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला, चक्षु, अचक्षु], अंतराय ५) |
सयोगकेवली |
25 (+तीर्थंकर) |
64 |
13 (वेदनीय १, तैजस-कर्माण शरीर, निर्माण, वर्णचतुष्क, अगुरुलघु, शुभ-अशुभ, स्थिर-अस्थिर) |
अयोगकेवली |
12 |
77 |
12 (वेदनीय [कोइ १], उच्च गोत्र, मनुष्य गति, मनुष्य आयु, पंचेन्द्रिय जाति, त्रस, बादर, पर्याप्त, सुभग, आदेय, यशःकीर्ति, तीर्थंकर) |
उदय-योग्य प्रकृतियाँ 89 = 122 - 33 (स्वर-द्विक, विहायोगति २, प्रत्येक, साधारण, आहारक-द्विक, औदारिक-द्विक, वैक्रियिक-द्विक, सम्यक-मिथ्यात्व, उपघात, परघात, उच्छ्वास, आतप, उद्योत, स्त्यानत्रिक, संहनन ६, संस्थान ६) |
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