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लेश्या की अपेक्षा मोहनीय के उदय संबंधी पदवृंद भंग

  विशेष 

विशेष :


लेश्या की अपेक्षा गुणस्थानों में मोहनीय के उदय संबंधी पदवृंद भंग
लेश्या मोहनीय स्व-स्व उदय-स्थानगत भंग पदवृंद गुणा कुल पदवृंद भंग
सूक्ष्मसाम्पराय 1 1 1 1 1
अनिवृत्तिकरण सवेद 1 1 (2) 2 * 1 12 44
अवेद 1 1 (1) 1 4 4
अपूर्वकरण 1 20 (6,5,5,4) 20 * 1 24 480
अप्रमत्त संयत सम्यक्त्व सहित 3 24 (7,6,6,5) 44 * 3 24 3168
सम्यक्त्व रहित 20 (6,5,5,4)
प्रमत्त संयत सम्यक्त्व सहित 3 24 (7,6,6,5) 44 * 3 24 3168
सम्यक्त्व रहित 20 (6,5,5,4)
देशविरत सम्यक्त्व सहित 3 28 (8,7,7,6) 52 * 3 24 3744
सम्यक्त्व रहित 24 (7,6,6,5)
असंयत सम्यक्त्व सम्यक्त्व सहित 6 32 (9,8,8,7) 60 * 6 24 8640
सम्यक्त्व रहित 28 (8,7,7,6)
मिश्र 6 32 (9,8,8,7) 32 * 6 24 4608
सासादन 6 32 (9,8,8,7) 32 * 6 24 4608
मिथ्यादृष्टि अनं. सहित 6 36 (10,9,9,8) 68 * 6 24 9792
अनं. रहित 32 (9,8,8,7)
पर्याप्त अवस्था में अनंतानुबंधी सहित मोहनीय के उदय स्थान = 10 (1 मिथ्यात्व + 4 कषाय + 2 हास्य-रति/शोक-अरति + 1 वेद + भय + जुगुप्सा), 9 (भय/जुगुप्सा में से कोई एक), 8 (भय/जुगुप्सा रहित)
अपर्याप्त अवस्था में अनंतानुबंधी का उदय अवश्य है
सर्व पदवृंद भंग 38,237
पंचसंग्रह -- सप्ततिका अधिकार गाथा 372 से 386



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