| मिथ्यात्व गुणस्थान के सत्व में 18 स्थान और उनके 50 भंग |
| बद्धायुष्क |
अबद्धायुष्क |
| स्थान |
भंग |
असत्व |
विशेष |
स्थान |
भंग |
असत्व |
विशेष |
| 146 |
1 |
2 (आयु २ [देव,तिर्यञ्च]) |
तीर्थंकर और आहारक चतुष्क की सत्ता वाला नरक की ओर जाता हुआ मनुष्य |
145 |
1 |
3 (आयु ३ [देव,तिर्यञ्च,मनुष्य]) |
२-३ नरक में तीर्थंकर और आहारक चतुष्क की सत्ता वाला निर्वृत्तिअपर्याप्तक नारकी |
| 145 |
5 |
3 (तीर्थंकर, २ आयु) |
चारों गति के बद्धायुष्क (तिर्यञ्चायु+३[नरकायु,मनुष्यायु,देवायु], मनुष्यायु+२[नरकायु,देवायु]) |
144 |
4 |
4 (तीर्थंकर, ३ आयु) |
चारों गति के अबद्धायुष्क |
| 142 |
1 |
6 (आयु २ [देव,तिर्यञ्च], आहारक-चतुष्क) |
तीर्थंकर की सत्ता वाला नरक की ओर जाता हुआ मनुष्य |
141 |
1 |
7 (आयु ३ [देव,तिर्यञ्च,मनुष्य], आहारक-चतुष्क) |
२-३ नरक में तीर्थंकर की सत्ता वाला निर्वृत्तिअपर्याप्तक नारकी |
| 141 |
5 |
7 (तीर्थंकर, आहारक-चतुष्क, २ आयु) |
चारों गति के बद्धायुष्क (तिर्यञ्चायु+३[नरकायु,मनुष्यायु,देवायु], मनुष्यायु+२[नरकायु,देवायु]) |
140 |
4 |
8 (तीर्थंकर, आहारक-चतुष्क, ३ आयु) |
चारों गति के अबद्धायुष्क |
| 140 |
5 |
8 (तीर्थंकर, आहारक-चतुष्क, २ आयु, सम्यक्त्व) |
सम्यक्त्व मोहनीय की उद्वेलना करने वाले चारों गति के बद्धायुष्क |
139 |
4 |
9 (तीर्थंकर, आहारक-चतुष्क, ३ आयु, सम्यक्त्व) |
सम्यक्त्व मोहनीय की उद्वेलना करने वाले चारों गति के अबद्धायुष्क |
| 139 |
5 |
9 (तीर्थंकर, आहारक-चतुष्क, २ आयु, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व) |
सम्यग्मिथ्यात्व की उद्वेलना करने वाले चारों गति के बद्धायुष्क |
138 |
4 |
10 (तीर्थंकर, आहारक-चतुष्क, ३ आयु, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व) |
सम्यग्मिथ्यात्व की उद्वेलना करने वाले चारों गति के अबद्धायुष्क |
| 137 |
1 |
11 (९ + देव-द्विक) |
देव-द्विक की उद्वेलना सहित मनुष्यायु की सत्ता वाला एकेन्द्रिय या विकलेंद्रिय |
136 |
4 |
12 (10 + देव-द्विक) |
एकेन्द्रीय या विकलेंद्रिय |
| 12 (10 + देव-द्विक) |
अपर्याप्त मनुष्य |
| 12 (10 + नरक-द्विक) |
सुर-षटक् का बंधक पंचेंद्रिय पर्याप्त तिर्यञ्च |
| 12 (10 + नरक-द्विक) |
सुर-षटक् का बंधक पर्याप्त मनुष्य |
| 131 |
1 |
17 (११ + नरक षटक्) |
नरक-षटक् की उद्वेलना सहित मनुष्यायु की सत्ता वाला एकेन्द्रिय या विकलेंद्रिय |
130 |
2 |
18 (12 + नरक-षटक्) |
नरक-षटक् की उद्वेलना सहित एकेन्द्रिय या विकलेंद्रिय |
| 18 (12 + नरक-षटक्) |
नरक-षटक् की उद्वेलना सहित निर्वृत्तिअपर्याप्तक मनुष्य |
| 129 |
1 |
19 (17 + उच्च-गोत्र + मनुष्यायु) |
उच्च-गोत्र की उद्वेलना करने वाले अग्नि / वायुकायिक |
|
| 127 |
1 |
21 (19 + मनुष्य-द्विक) |
मनुष्य-द्विक की उद्वेलना करने वाले अग्नि / वायुकायिक |