विशेष :
| नाम-कर्म के 13 सत्त्व-स्थान |
| सत्त्व-स्थान |
प्रकृति |
विशेष |
| 93 |
सर्व-प्रकृति |
सम्यग्दृष्टि वैमानिक देव, सम्यग्दृष्टि मनुष्य |
| 92 |
93 - तीर्थंकर |
सासादन रहित चारों गति के जीव |
| 91 |
93 - आहारक-द्विक |
सम्यग्दृष्टि वैमानिक देव, सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टी मनुष्य या नारकी |
| 90 |
91 - तीर्थंकर |
चारों-गतियों के जीव, सभी सासादन गुणस्थान वाले |
| 88 |
90 - देव-द्विक |
मिथ्यादृष्टी मनुष्य या तिर्यञ्च |
| 84 |
88 - (नरक-द्विक + वेक्रियिक-द्विक) |
मिथ्यादृष्टी मनुष्य या तिर्यञ्च |
| 82 |
84 - मनुष्य-द्विक |
मिथ्यादृष्टी तिर्यञ्च |
| 80 |
93 -13 (नरकद्विक, तिर्यंच-द्विक, जाति-चतुष्क, आतप, उद्योत, सूक्ष्म, साधारण, स्थावर) |
क्षपक श्रेणी के अनिवृत्तिकरण से अयोग-केवली के द्विचरम-समय तक |
| 79 |
80 - तीर्थंकर |
| 78 |
80 - आहारक-द्विक |
| 77 |
80 - (तीर्थंकर + आहारक-द्विक) |
| 10 |
मनुष्य-द्विक, पंचेन्द्रिय, सुभग, त्रस, बादर, पर्याप्त, आदेय, यश, तीर्थंकर, उच्चगोत्र |
आयोग-केवली चरम-समय |
| 9 |
10 - तीर्थंकर |
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