विशेष :
| चार गति में पाए जाने वाले नाम-कर्म के सत्त्व-स्थान |
| जीव-पद |
नाम-कर्म के स्थान |
| नारकी |
सामान्य |
92, 91, 90 |
| 4-7 नरक |
92, 90 |
| तिर्यञ्च |
सामान्य |
92, 90, 88, 84, 82 |
| भोग-भूमि |
92, 90 |
| मनुष्य |
सामान्य |
93, 92, 91, 90, 88, 84, 80, 79, 78, 77, 10, 9 |
| सयोग-केवली |
80, 79, 78 77 |
| *अयोग-केवली |
80, 79, 78 77, 10, 9 |
| आहारक-शरीरी |
93, 92 |
| भोग-भूमि |
92, 90 |
| *9-14 गुणस्थान |
80, 79, 78 77 |
| देव |
वैमानिक |
93, 92, 91, 90 |
| भवनत्रिक |
92, 90 |
| *10 और 9 का स्थान अयोग-केवली के चरम समय में है |
| 80, 79, 78, 77 का स्थान क्षपक श्रेणी के अनिवृत्तिकरण से अयोग-केवली के द्विचरम-समय तक है |
| 88, 84 का स्थान मनुष्य / तिर्यञ्च मिथ्यादृष्टी के ही पाया जाता है |
| 82 का स्थान मिथ्यादृष्टी तिर्यञ्च में ही पाया जाता है |
| 93 का स्थान असंयत सम्यग्दृष्टी देव और सम्यग्दृष्टि मनुष्य के ही पाया जाता है |
| 92 का स्थान सासादन रहित चारों गति के जीवों में पाया जाता है |
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