+ ओघ से मूल-प्रकृतियों में त्रिसंयोग में स्थान -
ओघ से मूल-प्रकृतियों में त्रिसंयोग में स्थान

  विशेष 

विशेष :


ओघ से मूल-प्रकृतियों में त्रिसंयोग में स्थान
गुणस्थान बंध उदय सत्त्व
14 अयोगकेवली 0 4 4
13 सयोगकेवली 1 4 4
12 क्षीणमोह 1 7 7
11 उपशान्तमोह 1 7 8
10 सूक्ष्मसाम्पराय 6 8 8
9 अनिवृतिकरण 7 8 8
8 अपूर्वकरण 7 8 8
7 अप्रमत्तसंयत 8 / 7 8 8
6 प्रमत्तसंयत 8 / 7 8 8
5 देशविरत 8 / 7 8 8
4 अविरत 8 / 7 8 8
3 मिश्र 7 8 8
2 सासादन 8 / 7 8 8
1 मिथ्यात्व 8 / 7 8 8
गोम्मटसार कर्मकांड गाथा 629